Sunday 15 April, 2007

दर्द और शायरी

औरों के शेरों को क्यों उधार लें ,
हम एहसास -ए -दिल बयाँ करने के लिए,
तुमको देखा तो रूमनगी आ गयी ,
फिर से देखा तो दीवानगी छा गयी ,
झुकती नज़रों ने मैकशिं भर दी ,
बस एक दर्द की कमी थी UttaM की शायरी में , जो तुने दिल तोड़कर पूरी कर दी !


गैरों के अलफ़ाज़ क्यों उधार लें ,
हम हाल -ए -दिल बताने के लिए ,
तेरे लबों ने मुस्कराहट सिखाई ,
तेरी नज़रों ने नज़रों की जुबां समझाई ,
तेरे आँचल ने जिन्दगी मे रंग भर दी ,
बस एक दर्द की कमी थी UttaM की शायरी में , जो तुने दिल तोड़कर पूरी कर दी !


दूसरों का कलम क्यों उधार लें ,
हम अपने हाथों से लिखने के लिए ,
तेरे आँचल ने हवा दी दिल में छुपी आग को ,
तेरे काजल ने कलम में श्याही भर दी
बस एक दर्द की कमी थी UttaM की शायरी में , जो तुने दिल तोड़कर पूरी कर दी !

(genuinely uttams)

2 comments:

Anonymous said...

Great Uttam Ji........

गैरों के अलफ़ाज़ क्यों उधार लें ,
हम हाल -ए -दिल बताने के लिए ,
तेरे लबों ने मुस्कराहट सिखाई ,
तेरी नज़रों ने नज़रों की जुबां समझाई ,
तेरे आँचल ने जिन्दगी मे रंग भर दी ,
बस एक दर्द की कमी थी UttaM की शायरी में , जो तुने दिल तोड़कर पूरी कर

Nacheez's
फर्क है आँसू आँसू में,

कुछ आँख से निकलते हैं, कुछ दिल से ।

S. B. Kulkarni, Belgaum said...

lovely. I really did'n know your his talent although I was aware that you do poetry.
Keep it up.
SBKSIR