Monday 23 April, 2007

Meri Muskuraahat


Rota hoon, na-rone ka natak karta hoon..
Ashq ponch kar, ankhon mein hansi jahir karta hoon..

Darta hoon, himmaton ki numayish karta hoon..
uske khone ka dar dil mein liye, seena taan ke chalta hoon..

Pal pal marta hoon, aur zindagi se pyar jataata hoon..
Dard ruswaai ka sehkar, muskuraata rehta hoon..

Zakhm bhare pade hai, khud ki jism-o-jaan pe..
Auron ki dawa-o-dua mein laga rehta hoon..

Sochta hoon, Ab aur jee kar bhi kya karoon main..
Mar kar bhi kya paoonga, yeh soch kar saans leta rehta hoon..

Ab in saanson ki keemat chaahiye mujhe..
Is liye Khud muskurakar auron ko bhi hansaata rehtaa hoon...


(genuinely uttams)

Saturday 21 April, 2007

Bas Yaad Ban Kar Reh Gaye




Woh ladki jo yaado mein rehti hai..
Woh kabhi waadon mein hua karti thi..
Uski nashili aankhen khwabon mein hua karti thi..
Usko paane ki chahat iraadon mein hua karti thi..

Woh ladki jo yaado mein rehti hai..
Uski tasveer nigaahon mein hua karti thi..
Uski khushboo saanso mein hua karti thi..
Uski maasoomiyat phoolon mein nazar aati thi..
uski chamak sitaaron ko roshan karti thi..

Woh ladki jo yaadon mein rehti hai..
Kabhi masoom gunaahon mein hua karti thi..
Is dil ki panaahon mein hua karti thi..
Na saans le sakte the uske bina..
Is tarah dhadkanon mein basi rehti thi..

Woh ladki jo yaadon mein rehti hai..
Ab bas yaadon mein raha karti hai..


(genuinely uttams)

Thursday 19 April, 2007

हमको हो गयी है मोहब्बत आपसे ..


हमको हो गयी है मोहब्बत आपसे ,
आप हमारी खता मानते हैं!!

क्या हमने कहा था आपकी आँखों से के सपनों आये?
क्या हमने कहा था आपकी जुल्फों से के वादियों को मेह्काये ?
क्या हमने कहा था आपके आँचल से के लहराये ?
क्या हमने ये कहा था के आप संवर के आयें ?

फिर क्यों आपकी आंखों ने सजाया सपनों का मंजर ?
फिर क्यों आपकी जुल्फें कर जाती हैं जादू का असर ?
फिर क्यों आपका आँचल मेरा दिल उडा ले जाता है ?
फिर क्यों आप मुझको मुझ ही से चुरा ले जाती हैं?

खुद ही फैसला कीजिये किसका है ये सितम
खता ना करके भी कटघरे में खडे हैं हम
अब जो भी सज़ा दोगे सह लेंगे हम
मगर आप कि रुसवाई से ये प्यार ना होगा कम


कभी गुजरिये या ना गुजरिये इस दिल के रेह्गुजर से
मगर कभी फुर्सत में गौर कीजिये इस मोहब्बत के मुकद्दर पे
क्यों के फिजा में फूल कम ही खिलते हैं
और हम जैसे आशिक दुनिया में बड़ी मुश्किल से मिलते हैं

(genuinely uttams)

Wednesday 18 April, 2007

दूरी

तुम दूर हो , हम मजबूर हैं
तुम हूर हो , हम बेनूर हैं
हर शाम याद करते हैं जाम -ए अश्क हाथों में लिए हुए
जल्द ही सो जाते हैं , ख्वाबों में तुम्हे पाने के लिए
तुम जब मुस्कुराती हो ख्वाबों मे आकर
दिल कहता है , क्या करूंगा तुम्हे पा कर
क्या रहोगी तुम मेरे साथ ,
जिसके पास, नहीं सिवा कुछ देने के लिए मोहब्बत के जजबात!


(genuinely uttams)

Sunday 15 April, 2007

क्या हमारे साथ चलेंगे ?


आप माफ़ करते रहें तो हम खता करते रहें
कभी पलकों को चूम लें तो कभी जुल्फों से खेलते रहें
आप इकरार कर ले तो हम वफ़ा कर ते रहें
कभी दिल कि बात करें तो कभी जान पे खेलते रहें
तुम आने का वादा करो तो हम इंतज़ार करें
कभी सपनो में मिल लें तो कभी राहों को देखते रहें
आप मोहब्बत कर लें हम से तो क्यों हम और कुछ करें
तेरे हाथों को थाम कर यूं ही उम्र भर चलते रहें ॥


(genuinely uttams)

दर्द और शायरी

औरों के शेरों को क्यों उधार लें ,
हम एहसास -ए -दिल बयाँ करने के लिए,
तुमको देखा तो रूमनगी आ गयी ,
फिर से देखा तो दीवानगी छा गयी ,
झुकती नज़रों ने मैकशिं भर दी ,
बस एक दर्द की कमी थी UttaM की शायरी में , जो तुने दिल तोड़कर पूरी कर दी !


गैरों के अलफ़ाज़ क्यों उधार लें ,
हम हाल -ए -दिल बताने के लिए ,
तेरे लबों ने मुस्कराहट सिखाई ,
तेरी नज़रों ने नज़रों की जुबां समझाई ,
तेरे आँचल ने जिन्दगी मे रंग भर दी ,
बस एक दर्द की कमी थी UttaM की शायरी में , जो तुने दिल तोड़कर पूरी कर दी !


दूसरों का कलम क्यों उधार लें ,
हम अपने हाथों से लिखने के लिए ,
तेरे आँचल ने हवा दी दिल में छुपी आग को ,
तेरे काजल ने कलम में श्याही भर दी
बस एक दर्द की कमी थी UttaM की शायरी में , जो तुने दिल तोड़कर पूरी कर दी !

(genuinely uttams)