हमको हो गयी है मोहब्बत आपसे ,
आप हमारी खता मानते हैं!!
क्या हमने कहा था आपकी आँखों से के सपनों आये?
क्या हमने कहा था आपकी जुल्फों से के वादियों को मेह्काये ?
क्या हमने कहा था आपके आँचल से के लहराये ?
क्या हमने ये कहा था के आप संवर के आयें ?
फिर क्यों आपकी आंखों ने सजाया सपनों का मंजर ?
फिर क्यों आपकी जुल्फें कर जाती हैं जादू का असर ?
फिर क्यों आपका आँचल मेरा दिल उडा ले जाता है ?
फिर क्यों आप मुझको मुझ ही से चुरा ले जाती हैं?
खुद ही फैसला कीजिये किसका है ये सितम
खता ना करके भी कटघरे में खडे हैं हम
अब जो भी सज़ा दोगे सह लेंगे हम
मगर आप कि रुसवाई से ये प्यार ना होगा कम
कभी गुजरिये या ना गुजरिये इस दिल के रेह्गुजर से
मगर कभी फुर्सत में गौर कीजिये इस मोहब्बत के मुकद्दर पे
क्यों के फिजा में फूल कम ही खिलते हैं
और हम जैसे आशिक दुनिया में बड़ी मुश्किल से मिलते हैं
आप हमारी खता मानते हैं!!
क्या हमने कहा था आपकी आँखों से के सपनों आये?
क्या हमने कहा था आपकी जुल्फों से के वादियों को मेह्काये ?
क्या हमने कहा था आपके आँचल से के लहराये ?
क्या हमने ये कहा था के आप संवर के आयें ?
फिर क्यों आपकी आंखों ने सजाया सपनों का मंजर ?
फिर क्यों आपकी जुल्फें कर जाती हैं जादू का असर ?
फिर क्यों आपका आँचल मेरा दिल उडा ले जाता है ?
फिर क्यों आप मुझको मुझ ही से चुरा ले जाती हैं?
खुद ही फैसला कीजिये किसका है ये सितम
खता ना करके भी कटघरे में खडे हैं हम
अब जो भी सज़ा दोगे सह लेंगे हम
मगर आप कि रुसवाई से ये प्यार ना होगा कम
कभी गुजरिये या ना गुजरिये इस दिल के रेह्गुजर से
मगर कभी फुर्सत में गौर कीजिये इस मोहब्बत के मुकद्दर पे
क्यों के फिजा में फूल कम ही खिलते हैं
और हम जैसे आशिक दुनिया में बड़ी मुश्किल से मिलते हैं
(genuinely uttams)
1 comment:
These Lines are Very Nice Uttam Ji.......
कभी गुजरिये या ना गुजरिये इस दिल के रेह्गुजर से
मगर कभी फुर्सत में गौर कीजिये इस मोहब्बत के मुकद्दर पे
क्यों के फिजा में फूल कम ही खिलते हैं
और हम जैसे आशिक दुनिया में बड़ी मुश्किल से मिलते हैं
Nacheez's..........
कभी तो हमें भी अपना कहो, यूँ कब तक मुछे तरसाओगे तुम ।
जो हमने रूख फेर लिया कहीं और, कसम से, मेरे पास आओगे तुम ।
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