मैं कहाँ एकांगी हूँ
मैं स्वयं ही स्वयं के साथ हूँ
ना झुकने दूंगा मैं स्वयं को
मैं स्वयं का आत्मविश्वास हूँ
आंसू ना गिरने दूंगा नयनों से
मैं ही तो हर्ष का स्त्रोत हूँ
ना थकने दूंगा ना रुकने दूंगा
मैं तो शक्ति का दात हूँ
निर्भय हूँ जग से, अपजय से
क्यों की मैं स्वयं ही स्वयं के साथ हूँ
(Genuinely Uttam's)