Wednesday 25 July, 2007

आत्मविश्वास


मैं कहाँ एकांगी हूँ
मैं स्वयं ही स्वयं के साथ हूँ

ना झुकने दूंगा मैं स्वयं को
मैं स्वयं का आत्मविश्वास हूँ

आंसू ना गिरने दूंगा नयनों से
मैं ही तो हर्ष का स्त्रोत हूँ

ना थकने दूंगा ना रुकने दूंगा
मैं तो शक्ति का दात हूँ

निर्भय हूँ जग से, अपजय से
क्यों की मैं स्वयं ही स्वयं के साथ हूँ

(Genuinely Uttam's)


3 comments:

Mohinder56 said...

बहुत खूब दोस्त... आत्म विश्वास ही वो पंख हैं जिन के सहारे आदमी अपनी मंजिल पा लेता है चाहे वो कितनी भी दूर और कितनी भी ऊंची क्यों न हो... इस आत्म विश्वास को जीवन भर बनाये रखना

PGP said...

Thoda high fundaa hogaya mereliye :-)...ha ha ha

Anonymous said...

Too Good Uttam Ji.........

Tumsa Koi Dusrra Hua, Toh Mujhe Sabse Shikayat Hogi.......