Sunday 12 August, 2007

इंतज़ार


कोई आये इस छोटे से घर में
मोहब्बत से सजा रखा है हमने

दर पे खडे हैं गुलदस्ता लिये हुए
नज़रों को उनके क़दमों पे बिछा रखा है हमने

रंग से कहा है रंगीन बनायें उनकी शामें
फर्श से ठंडे रहने की गुजारिश किया है हमने

कुर्सियों से कहा है वो थक कर बैठें तो हवा देंगे उन्हें हम,
उनके चहरे से ना हटे रौशनी, चिरागों से कह रखा है हमने

दीवारों को बताया है के कुछ बुरा ना कहेंगे उन्हें हम
उनके जुल्फ के साये मे गुज़ार देंगे जिन्दगी, खिड़कियों से वादा किया है हमने

ख्वाबगाह को उल्फत के रंगों से सजा कर,
ख़्वाबों के ताबीर की उम्मीद लगा रखा है हमने

इबादत-गाह मे, उन-को माँग कर खुदा से,
उम्र भर के खुशियों की गुज़ारिश किया है हमने

कोई आये इस छोटे से घर में
मोहब्बत से सजा रखा है हमने

(Genuinely Uttam's)

2 comments:

Anonymous said...

Bahut Hee Badiya Hai Uttam Ji,

Specially these lines are Sparking in my Heart.

ख्वाबगाह को उल्फत के रंगों से सजा कर,
ख़्वाबों के ताबीर की उम्मीद लगा रखा है हमने.........

Too Good..........

Regards,
EK NACHEEZ

www.merenagme.blogspot.com

Raj said...

Wow, bahut khub likha hai Uttam ji aapne I aapriciate you, and tareef karni padegi Priyanka Ji ki bhi jinhone aapki in lines ko apne Dil mein Importance de.
ख्वाबगाह को उल्फत के रंगों से सजा कर,
ख़्वाबों के ताबीर की उम्मीद लगा रखा है हमने.........