Wednesday 23 May, 2007

Ek nayaa jahaan basaana hai mujhe…


Ek nayaa jahaan basaana hai mujhe,
Mohabbat se use sajaana hai mujhe,
Mai kahaan chahta hoon, jahaan bhar ki raunakein,
Mutthi bhar doston ko le jaana hai mujhe!!

Na num ho kisi ki aankhen,
Na gum ko kisi ke daaman mein,
Wafaon ka chalan ho hawaon mein,
Bas itna sa manjar banana hai mujhe!!
Ek nayaa jahaan basaana hai mujhe…

Har kisi ko kahaan milta hai
Dil baron ka saath..
Woh jo rishta tod gaya hai,
Aaye na aaye, use bulaana hai mujhe!!
Ek nayaa jahaan basaana hai mujhe…

Chalta hoo kuch der dhoondne us jahaan ko,
Kuch pal thak kar baith jaata hoon,
Chauraahon pe baith ke kabhi sochta hoon,
Kaunsi wo raah hai, jispe chalna hai mujhe!!
Ek nayaa jahaan basaana hai mujhe…

Akele chaloon ya saath le loon kisi ka,
Saath mila to accha hi hoga,
Koi milke bichad jaaye to phir kya hoga,
Mukaddar pe bharosa karna hai mujhe!!
Ek nayaa jahaan basaana hai mujhe…

Aap chaahein to shamil ho jaayiye,
Is jahaan ke banaane mein,
Aap ke dil hi se to,
Pattharein Churaana hai Mujhe!!
Ek nayaa jahaan basaana hai mujhe…

Bhool kar shikve gile aapas ke..
Chalo bas jaayein Ghane pedo ki Chaon mein..
Kyon bair karein kisise,
Khuda ke ghar bhi to jaana hai humein!!


(genuinely uttams)

Tuesday 8 May, 2007

वादा .... एक अजनबी से !


दिल -ओ -जान से चाहेंगे ..
उन्हें , जो बहारें समेट लायेंगे
मगर वो अजनबी जो दिल पे दस्तक दे कर छुप जाता है
उसे हकीकत में कैसे पायेंगे ?


वो कभी अनदेखा सा लगता है तो कभी जाना पहचाना सा
कभी हमदम सा तो कभी अनजाना सा
शायद बाना है वो मेरे लिए ,
कुछ अलग , कुछ जहाँ से बेगाना सा !


अब तक शायद मिला नही मुझे वो ,
या शायद मुझे लगा के मिल गया ,
कभी जान की बाजी लगा दी किसी के लिए ,
कभी लगा मुझे के यह दिल गया !!


मगर शायद था मेरा वो वेहम ,
या कोई खा रहा था इस दिल पे रहम ,
या वो बात ही ना थी हम में ,
के बन सकें उनका हमकदम !

हाँ मुझे किसीकी आहट सुनाई देती है ,
अब भी इंतज़ार है मुझे किसी का
हसरत है मुझे उनके आमद की
लगता है मुझ पे हक है बस उन्ही का !

दिल के दर खुले रखे हैं हम ने ..
इस लिए के उनकी खुशबू ले आयें बहारें ,
मेरे दिल तक पहुंचे उनकी सदायें ,
उनका आँचल पहुंच जाये उडके इस सीने में ,
या फिर उन्ही को ले आयें बहारें !

करते हैं हम उस अजनबी से वादा ,
के चाहेंगे उन्हें हम खुद से ज्यादा
उनको मिले जहाँ भर की खुशियाँ
यही तो हैं , हमारा इरादा !!

उनके पलकों को नम ना होने देंगे
उनके दामन में गम ना होने देंगे
आकर तो देखे हमारे आगोश में ,
उनसे हमारी मोहब्बत कभी कम ना होने देंगे !!


(genuinely uttams)

Thursday 3 May, 2007

क्या मैं भुला पाया हूँ ?


उनको भूला हूँ मैं या मुझे कभी कभी ऐसा लगता है ?
यह सवाल जब दिल से करता हूँ ..तो फिर वही दर्द सा जगता है ॥

आंखें बंद करता हूँ किसी और के सपने देखने के लिए
मगर फिर उनही की निगाहों का सुरूर छाता है ॥
निकालता हूँ किसी के हुस्न की तलाश में
देखता हूँ जिस किसी को , कुछ कम सा लगता है ॥

किसी की ग़ज़ल सुनी , किसी ने मोहब्बत का दर्द बयाँ किया
तो क्यों सब मेरी दास्तान सा लगता है
जब छाती हैं घटायें काली कजरारी सी ..
मुझे उनके जुल्फ का साया नज़र आता है ॥

किसी और को दिल देने कि नाकाम कोशिशें करता रहता हूँ
मेरे मुस्कुराते होंटों के पीछे , दर्द सा रहता है ॥
नही भूला हूँ मैं उनको बस यूं ही मुझे कभी कभी ऐसा लगता है ..


(genuinely uttams)