Tuesday 8 May, 2007

वादा .... एक अजनबी से !


दिल -ओ -जान से चाहेंगे ..
उन्हें , जो बहारें समेट लायेंगे
मगर वो अजनबी जो दिल पे दस्तक दे कर छुप जाता है
उसे हकीकत में कैसे पायेंगे ?


वो कभी अनदेखा सा लगता है तो कभी जाना पहचाना सा
कभी हमदम सा तो कभी अनजाना सा
शायद बाना है वो मेरे लिए ,
कुछ अलग , कुछ जहाँ से बेगाना सा !


अब तक शायद मिला नही मुझे वो ,
या शायद मुझे लगा के मिल गया ,
कभी जान की बाजी लगा दी किसी के लिए ,
कभी लगा मुझे के यह दिल गया !!


मगर शायद था मेरा वो वेहम ,
या कोई खा रहा था इस दिल पे रहम ,
या वो बात ही ना थी हम में ,
के बन सकें उनका हमकदम !

हाँ मुझे किसीकी आहट सुनाई देती है ,
अब भी इंतज़ार है मुझे किसी का
हसरत है मुझे उनके आमद की
लगता है मुझ पे हक है बस उन्ही का !

दिल के दर खुले रखे हैं हम ने ..
इस लिए के उनकी खुशबू ले आयें बहारें ,
मेरे दिल तक पहुंचे उनकी सदायें ,
उनका आँचल पहुंच जाये उडके इस सीने में ,
या फिर उन्ही को ले आयें बहारें !

करते हैं हम उस अजनबी से वादा ,
के चाहेंगे उन्हें हम खुद से ज्यादा
उनको मिले जहाँ भर की खुशियाँ
यही तो हैं , हमारा इरादा !!

उनके पलकों को नम ना होने देंगे
उनके दामन में गम ना होने देंगे
आकर तो देखे हमारे आगोश में ,
उनसे हमारी मोहब्बत कभी कम ना होने देंगे !!


(genuinely uttams)

1 comment:

Anonymous said...

Bahut Khoob Uttam Ji...
Such Lines are very touching.

दिल के दर खुले रखे हैं हम ने ..
इस लिए के उनकी खुशबू ले आयें बहारें ,
मेरे दिल तक पहुंचे उनकी सदायें ,
उनका आँचल पहुंच जाये उडके इस सीने में ,
या फिर उन्ही को ले आयें बहारें !


Nacheez Bhi Kuch Kehna Chahti Hai..

हमसे पूछो मोहब्बत किस पाक अहसास का नाम है,

जो छलके और छलकाए दीवानों को, ये वो बेमिसाल जाम है ।

सुबह के वक्त की लाली है ये,

और कभी न ढलने वाली हसीन शाम है