Wednesday 18 April, 2007

दूरी

तुम दूर हो , हम मजबूर हैं
तुम हूर हो , हम बेनूर हैं
हर शाम याद करते हैं जाम -ए अश्क हाथों में लिए हुए
जल्द ही सो जाते हैं , ख्वाबों में तुम्हे पाने के लिए
तुम जब मुस्कुराती हो ख्वाबों मे आकर
दिल कहता है , क्या करूंगा तुम्हे पा कर
क्या रहोगी तुम मेरे साथ ,
जिसके पास, नहीं सिवा कुछ देने के लिए मोहब्बत के जजबात!


(genuinely uttams)

1 comment:

Anonymous said...

Very Nice Uttam Ji.....

जिन्दगी में प्यार कोई खूबसूरत साज है,

जिसका भेद ना जान सका कोई, ये वो राज है ।

बर्बाद हुए हैं कितने ही आशिक इसमें,

ना जाने कितनी मीठी है वो जो इसकी आवाज है ।
Regards,
Nacheez