आये हमारी याद तो आँखे बंद कर लेना
दूरियाँ तो हैं दरमियाँ , ख्यालों में कुछ कम कर लेना
मशरूफ रहना दोस्तों में हमेशा
कभी खुशियाँ बाँटना तो कभी अपने , उनके गम कर लेना
कुछ ख्वाब बुनना मेरे आस पास
और ख़ुद कि तदबीर से ऊंचाईयों तक कदम कर लेना
कोई जख्म मिले तो खुला न छोड़ना
हम को बताके मरहम कर लेना
हम होंगे साथ कुछ दिनों कि है बात
तब तक किताबों को ही सनम कर लेना
(Genuinely Uttam's)
4 comments:
बहुत खूब उत्तम जी
हमसे भी रहा ना गया सो पेश है:
जो जुर्मे मोहबत में तुझे मेरा बना दे,
ऐसी ही कोई प्यारी सज़ा मांग रहा हूं।
मालूम है तुम गैर के हो जाओगे इक दिन,
फिर भी तुम्हें पाने की दुआ मांग रहा हूं।
"प्रियराज"
जो तुमने दिया मुझे उसे हम याद करेंगे,
हर पल तुमसे मिलने की फ़रयाद करेंगे,
चले आना ज़ब कभी ख्याल आजाये मेरा,
हम रोज़ ख़ुदा से पहले तुम्हें याद करेंगे..
सुभान अल्लाह उत्तम जी,
आपने तो क़त्ल कर डाला...........
ये दो लाइन तो बहुत कातिलाना है..........
कोई जख्म मिले तो खुला न छोड़ना
हम को बताके मरहम कर लेना
नाचीज़ भी कुछ अर्ज़ करना चाहती है...
कल का आना तय शुदा तो नहीं,
मगर मुझे किस्मत पे यकीन है,
के मेरा आज जितना हसीन था,
सम्माननीय श्री उत्तम जी,
अदरणीय कुं. प्रियंका जी
बहुत दिनों के बाद आप दोनों की रचनायें पढने को मिलीं। वाकई दिल खुश हो गया ।
हमरी भी सुन लिजियेगा......
मैं जानता हूं कि यह खवाब झूठे हैं,
और यह खुशियां अधूरी हैं,
मगर ज़िन्दा रहने के लेये मेरे दोस्त,
कुछ गलत फहमियां भी ज़रुरी हैं...
"प्रियराज"
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