Friday 9 May, 2008

तुम इस तरह मिले


फूलों ने पूछा क्या हुआ है
मैंने कहा कँवल खिला है

तितलियों ने पूछा क्या हुआ है
मैंने कहा इन्द्रधनुष बना है

सितारों ने पूछा क्या हुआ है
मैंने कहा दिल रोशन हुआ है

चाँद ने पूछा क्या हुआ है
मैंने कहा तू ही तो मिला है!

खुदा ने पूछा क्या चाहिए तुम्हे
तो मैंने कहा सब कुछ तो मिला है!!!


(Genuinely Uttam's )

8 comments:

pallavi trivedi said...

उम्दा...कम शब्दों में गहरी बात!

Anonymous said...

Appriciable Presentaion of Flower, Butterfly, Stars, Moon and God.

Raj said...

श्री उत्तम जी
जरा इघर भी गौर फ़रमाइएगा

+++++तेरा हमसफ़र कहां है+++++

ये चिराग बेनज़र है या फ़िर सितार बेज़ुबान है,
अभी तुमसे मिलता जुलता कोई दूसरा कहां है।

शख्स जिसपे अपना दिल-ओ-जान निसार कर दूं,
वो अगर खफ़ा नहीं है तो फ़िर ज़रूर बदगुमान है।

कभी पा के तुमको खोना कभी खो के तुमको पाना,
ये जन्म-जन्म का रिश्ता तेरे मेरे ही दरमियान है।

मेरे साथ ना चलने वाले तुम्हे क्या मिला सफ़र में,
वही दुख भरी ज़मीन और वही गमों के असमान हैं।

मैं इसी गुमान में वर्षों तक बडा मुतमीन रहा हूं,
तुम्हारा दिल बेतागयुर है मेरा प्यार जीवनदान है।

उन्ही रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे,
मुझे रोक के लोग पूछ्ते हैं तेरा हमसफ़र कहां है।

"प्रियराज"

Raj said...

Uttam ji Namaskar
I have started a blog and need your wise help, hope so that as you assisted your old friends Me to may get an opportunity from you.
view this:
"Dilon Ko Jeetne Ka Shauk"
http://priyraj.blogspot.com/

Priyraj

jasvir saurana said...

bhut sundar rachana or bhut hi sundar photo.

jasvir saurana said...

bhut sundar rachana or bhut hi sundar photo.

Unknown said...

वाह वाह
जनाब.........
हर जगह गज़ब धाने में माहिर हो गए.........
ज़गह नहीं बदली कभी उनके इन्तज़ार की,
उस जगह पर अब शख्स नये आते रहे,
उस नज़र में कभी एक झलक थी हमारी,
यही सोच कर हमेशा हम दिल बहलाते रहे,

Raj said...

सम्माननीय उत्तम जी,
"फूलों ने पूछा क्या हुआ है
मैंने कहा कँवल खिला है"

इस रचना की तारीफ़ करने के लायक शब्द नहीं हैं फ़िर भी कुछ कहने का साहस कर रहे हैं इस तरह:

आज सोचा कि जवाब क्या भेजूं,
आप जैसे लोगों को खिताब क्या भेजूं,
कोई फूल हो तो मुझे मालूम नहीं,
जो खुद गुलाब हो उसे गुलाब क्या भेजूं...

"प्रियराज"