Saturday 13 October, 2007

Mere Dil Ki Awaaz


Sun lo zaraa hamaare bhi dil ki baat ko
Duniya bhar ke shoron mein woh baat kahaan!

Roshni kar dein aag-e- mohabbat se,
Auron ki mehfil mein woh sougaat kahaan!

Guzaar do apne shab-o-sehar hamaare aagosh mein,
Gair ki baahon mein woh raat kahaan!

Tumhaari tareef ke liye hi rakhdein hamaari shayari,
Sher-o-Mushairon mein woh jajbaat kahaan!

Khushi tumhaari hogi humein khud se bhi aham,
Jannaton mein bhi aise dilbaron ka saath kahaan!

(Genuinely Uttam's)

3 comments:

Raj said...

उत्तम जी
आपकी रचना अतिउत्तम,
क्या दर्द दिखाया है मौहब्बत का......!

तुम तो नहीं हो

सुन ली खुदा ने वो दुआ तुम तो नहीं हो
दरवाजे पर दस्तक दी सदा तुम तो नहीं हो

सिमटी हुई शरमाती हुई रात की रानी
सोई हुई कलियों की तुम तो नहीं हो

महसूस किया तुमको तो गीली हुई पलकें
भीगे हुये मौसम की अदा तुम तो नही हो
प्रियराज.....!!!

Anonymous said...

Greattttttttttt uttam mast hai

Deepak

Unknown said...

Bahut Umda Hai
Uttam Ji.........


ऐ जमाने वालों ज़रा खुदा से इश्क करके तो देखो
खुदा खुद-बखुद ना हो जाए आपका तो कहना।

लुत्फ़ जो खुदा के इंतज़ार में है, उनकी याद में है
ऐसा लुत्फ़ ना किसी गुल में ना मौसम-ए-बहार में है।

वो भी तो करते होगें इंतज़ार, कोई तो हो दीवाना उनका
तो बन जाओ आशिक, देर किस बात की है।

उनकी याद में इक कशमकश है, सरूर है, इक पैहम है
गर याद ना हो उनकी तो ये जहाँ विराना सा है।

बसा के देखो खुदा को अपने दिल जिगर में
ना बन जाए जिंदगी गुलज़ार तो कहना।