ज़िंदगी में ज़िंदगी से बढ़ कर कुछ नहीं
ज़िंदगी तेरे सिवा और कुछ नहीं
तू ना मिले तो मै से मोहब्बत कर लूं
मगर ये जाम तेरी आँखों के सिवा कुछ नहीं
तुझ बिन जीने की कोशिश भी कैसे करूं
ये साँसे तेरी खुशबु के सिवा कुछ नहीं
मरने की ख्वाइश है तेरे आगोश मे छुप कर
कहीं और जाये जान, तो ये मरने के सिवा कुछ नहीं
(Genuinely Uttam’s)
8 comments:
Subhan Allah..............
Uttam Ji,
Apki in Last ki 2 Lines Ne Humme Ghayal Kar Diya,............
Shabd kam padd gayee hai isske liyee.........
मरने की ख्वाइश है तेरे आगोश मे छुप कर
कहीं और जाये जान, तो ये मरने के सिवा कुछ नहीं
Uttam ji
Bada darad hai aapki lekhni mai. Aur use abhi kahan chhupa rakha hai?
Dekho:
छुप गये वो जाकर कहीं शायद हमें सताने को,
लेकिन हम उनकी याद् में भूल गये जमाने को,
कोई उन्हे जाकर ये बता दे कि,
तरसते हैं हम उनकी एक झलक पाने को.
"प्रियराज"
excellent anna keep it up
kuch aur bhi kehna chahti hai
yeh nacheez......
जिन्दगी है नादान इस लिये चुप हूं,
दर्द ही दर्द सुबह शाम इस लिये चुप हूं,
कह ना दूं इस ज़माने से दस्तां अपनी,
उसमे आयेगा तेरा नाम इस लिये चुप हूं ।
A surreal image and poetic romance
It's painful
It's painful
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