दिल धड़क रहा है बडे जोरों से आज
नींद नहीं आती धड़कनों के शोरों से आज!
नींद नहीं आती धड़कनों के शोरों से आज!
अपनों ने ही ना समझा इस दिल की बात को
क्या करें उम्मीद हम गैरों से आज!
क्या करें उम्मीद हम गैरों से आज!
चल पडे थे एक ख़्वाबों के कारवाँ पे
कांटे लगे हैं बेहिसाब इन पैरों से आज!
कांटे लगे हैं बेहिसाब इन पैरों से आज!
दुनिया के गम ने हमें भी शायर बना दिया
रो पड़ते हैं संग - ओ- साज़ इन शेरों से आज!
देदो उजालों को मेरे घर का पता
या ले जाये कोई दूर मुझे इन अंधेरों से आज!
(Genuinely Uttam's)
5 comments:
title diya hai umeed or shayari lagti hai duniya na umeed..
chalo aaj aap bhi udas shayaro me shamil ho gaya puri tarah
keep it up
waheeda..
Last ki do linay jahir karti hain ummeed ujaalon ki..
Haan, udaasi jaroor hai is gazal mein..
उत्तम ही ये दो शेर बहुत सुन्दर भाव लिये हैं
अपनों ने ही ना समझा इस दिल की बात को
क्या करें उम्मीद हम गैरों से आज!
चल पडे थे एक ख़्वाबों के कारवाँ पे
कांटे लगे हैं बेहिसाब इन पैरों से आज!
"हम को जिनसे है वफ़ा की उम्मीद, वो नही जानते बफ़ा क्या है"
Bahut Khoob Uttam Ji
This is your Best Creation : -
Specially these lines..............
अपनों ने ही ना समझा इस दिल की बात को
क्या करें उम्मीद हम गैरों से आज!
Nacheez Bhi Kuch Arrz Karna Chahti Hai.........
आता नही दिल को मेरे सकून बिन दिलदार के,
पता नही कैसे तेरा, मेरे बिना रहने का दिल किया.
कोशिश तो बहुत की तुझे भुला दे इस दिल से,
मगर हर लम्हा बार बार तुझे ही हमने याद किया.
रोकना चाहा उन कदमो को, जो तेरी राह मे बधाये हमने,
फिर भी मेरी रहो ने तेरी मन्ज़िल का ही पता दिया.
वफ़ा तो तेरी फ़ितरत मे ही नही थी, हमसे हो गयी भूल,
पता नही - तुने हमे क्यु बेवफ़ा करार दिया?????"
अच्छी कविता है।
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