Friday 8 June, 2007

कोई तो बताये...


इश्क तो इश्क है लोग कहते हैं
इश्क क्या है हम और किस से पूछें ?

यह रोग तो रोग है बैद कहते हैं ,
इस मर्ज की दवा क्या है , हम और किस से पूछें ?


ये हवा भी राज़दार है उनका ,
उनके आशियाने का पता हम और किस से पूछें ?

घटाओं को है जलन उनसे ,
उनकी खैरियत अब हम और किस से पूछे ?

बड़ी नक -चढ़ी सी हैं उनकी सहेलियाँ ,
उनकी मर्जी क्या है हम और किस से पूछें ?

आज देख कर मुस्कुराया उन्होने ,
इसका मतलब क्या है , हम और किस से पूछें ?

ए खुदा !, उन्हें देखते ही कदम डगमगा जाते हैं ,
तू ही बता उनको पाने का ज़रिया , हम और किस से पूछें ?

(Genuinely uttams)

3 comments:

Anonymous said...

Bahut Khoob Uttam Ji,
Issme Toh Aapki Shayari Ki Poori Poori Kabiliyat Dikahiye De Rahi Hia,,,,,,,,Ki Aap Kitne MUKKAMMAL SHAYAR hai.
Nacheez Toh Kuch Bhi Nahi Aapke Samne...
But Phir Bhi Aapki shaan Me Kuch Kehne Ki Gustkahi Karrungi..........

कलम चल रही है
गज़ल ढल रही है

कोई आस दिल में
अभी पल रही है

खुशी आज है जो
न वो कल रही है

कमी आज तेरी
बहुत खल रही है

With Best Regards,
Nahceez.

Unknown said...

Weldon !
Uttam Great .
You are such a Fantastic Shayar.
But I will again alert to you.
You are infront of My Priya......
hahahaa
Just Kidding.

My Best Wishes always with you.
Keep it up !

Mohinder56 said...

आप की हालत तो नाजुक है उत्तम जी,

इवत्दाये ईश्क में सारी रात जागे,
अल्ला जाने क्या होगा आगे ?

जो भी होगा अच्छा ही होगा समझ कर ईश्क के समुन्द्र में डुवकी लगा लीजिये